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Writer's picturePriya Mishra

बारिश और तुम

Updated: Jul 29



वो पहली बारिश की बूंदों की तरह

वो गीली मिट्टी की खुशबू की तरह

वो सीने में धड़कते दिल की तरह

एक पहले एहसास की तरह हो तुम

आओ ले चालू तुम्हे मै कहीं दूर

इस पिंजरे से पहाड़ियों की वादियों में कहीं

जहा हर सुबह चिड़ियों की चेचाहट हो

तुम मुस्कुराओ खिले हुए फूल की तरह

और नाचो तितलियों की तरह

जहा चित भी तुम्हारी हो जहा पत भी तुम्हारा हो

ये गगन तुम्हारा ख्वाब हो, हर दिशा तुम्हारे साथ हो

मै हार जाऊ अपना सब बस तुम्हारे नैनो में खुशी की सौगात हो ।







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