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Writer's picturePriya Mishra

तुम और मै

तुम सच कहना, मै झूठ बोलती जाऊंगी

तुम खुशियों लाना, मै दुख खुरेदकर सवाल पूछती जाऊंगी

तुम समझना, मै समझने का नाटक करती जाऊंगी

तुम मेरी हसीं में मेरा गम मत ढूंढना वरना में और टूट जाऊंगी

तुम आज की बात करना और मै बीते कल में जीती जाऊंगी

तुम हक की बात करना और मै बेदखल करती जाऊंगी

तुम करीब आने की कोशिश करना, मै दूरियां बढ़ाती जाऊंगी

तुम स्वाद की बात करना, मै ज़हर घोलती जाऊंगी

तुम जीते जाना, मैं हारती जाऊंगी

तुम मुझे - मुझ में मत ढूंढना, मैं तुम्हे खुद से मिलाऊंगी

तुम ये हवा, फिसा ये रास्ते अपने साथ ले जाना शायद तब मै शायद गम का रास्ता भटक जाऊंगी

इस तरह शायद एक दिन, मैं सब भूल कर

सब पीछे छोर कर आगे बढ़ पाऊंगी

और तब सही माइनो में मेरा जन्म होगा और उस जन्म में मैं सिर्फ खुश रहे पाऊंगी ।


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